現代文明の考え方は、見えるもののみしか認めないというもののようです。
それは、証拠がなければ無いと判断する、本当はあるものでも、証拠として目に見えるものがなければ無いものとして認められない、というものです。
ここに、文明、文化の落とし穴があるのかもしれません。
しかし「ひふみ九九算表」は示しているのです。「天」は二一六(216)存在し、「地」は一四四(144)あるのです、というように。
佐藤氏の「ひふみ九九算表」の解析内容です。
佐藤氏の解析
冒頭の言葉は「ひふみ神示」の中にある一節である。
いかがであろうか…。しかし、それにしてもただただ驚きの連続であり、ただただため息が漏れるだけである!!。何ということであろうか!!。 |
このように「地(見える世界)の一四四」は「ひふみ九九算表」の1次元から4次元までの領域を云っていたのです。
1次元 | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 0 |
2次元 | 0 | 2 | 4 | 6 | 8 | 1 | 3 | 5 | 7 | 0 |
3次元 | 0 | 3 | 6 | 0 | 3 | 6 | 0 | 3 | 6 | 0 |
4次元 | 0 | 4 | 8 | 3 | 7 | 2 | 6 | 1 | 5 | 0 |
四次元までの領域があれば、すなわち、あと六つの次元が見えないが存在するということが「数」によって明白に示されているのです。
それは「ひふみ九九算」により、以下のような数の並びが現に存在しているということが証明となります。
0次元 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
1次元 | 0 | 1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 0 |
2次元 | 0 | 2 | 4 | 6 | 8 | 1 | 3 | 5 | 7 | 0 |
3次元 | 0 | 3 | 6 | 0 | 3 | 6 | 0 | 3 | 6 | 0 |
4次元 | 0 | 4 | 8 | 3 | 7 | 2 | 6 | 1 | 5 | 0 |
5次元 | 0 | 5 | 1 | 6 | 2 | 7 | 3 | 8 | 4 | 0 |
6次元 | 0 | 6 | 3 | 0 | 6 | 3 | 0 | 6 | 3 | 0 |
7次元 | 0 | 7 | 5 | 3 | 1 | 8 | 6 | 4 | 2 | 0 |
8次元 | 0 | 8 | 7 | 6 | 5 | 4 | 3 | 2 | 1 | 0 |
9次元 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 | 0 |
今まで「数」を軽視していた自分に気付かされる出来事です。
何ということでしょう(@@)。